आखिर क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस आपके भी दिमाग में यह प्रश्न कभी ना कभी जरूर आता होगा तो आज के इस लेख में इसी प्रश्न के उत्तर को ढूंढने का प्रयास करेंगे ।
गणतंत्र का अर्थ क्या है:
गणतंत्र/रिपब्लिक का मीनिंग क्या होता है इससे जान लेते हैं
सामान्यत: रिपब्लिक का सामान्य अर्थ होता है कि “देश के सर्वोच्च अधिकारी का पद वंशानुगत ना होकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा चुना जाता है।”
अर्थात आसान शब्दों में कहीं तो देश की सर्वोच्च अधिकारी को जनता के द्वारा सीधे या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से चुना जाता है तो वह देश गणतंत्र कहा जाता है।
यही वजह है कि भारत को रिपब्लिक ऑफ इंडिया कहते हैं क्योंकि भारत में राष्ट्रपति सर्वोच्च अधिकारी होता है और उसे अप्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से चुना जाता है अर्थात जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सांसद और विधायकों के वोट से राष्ट्रपति को चुना जाता है।
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है:
अब आते हैं मेन प्रश्न की ओर आखिर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं ? इसका उत्तर है भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हो गया था जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं लेकिन इस समय भारत का कोई संविधान या कानून नहीं था
इसलिए कैबिनेट मिशन योजना 1946 जो भारत को स्वतंत्र होने की सिफारिश करता था और इसी में भारत के संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा के निर्वाचन की योजना भी बताई गई थी।
इसी योजना के अनुसार भारत में संविधान सभा का चुनाव हुआ और इस संविधान सभा ने 29 अगस्त 1947 को डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान निर्माण के लिए प्रारूप समिति का गठन किया।
प्रारूप समिति ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन के अथक प्रयास के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान का निर्माण कर देश को समर्पित किया अर्थात 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ इसी दिन को प्रतिवर्ष विधि दिवस एवं संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं।
संविधान के कुछ प्रावधान तो किसी दिन से लागू हो गई जैसे नागरिकता निर्वाचन आदि लेकिन संपूर्ण संविधान को 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया। इसलिए इस दिन को हम सब प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। सरल शब्दों में कहे तो 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ इसलिए इस दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
26 जनवरी के दिन को ही संविधान लागू होने के लिए क्यों चुना गया ?
इस प्रश्न का उत्तर तो आपको मिल गया आखिर गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं लेकिन अभी भी एक प्रश्न बाकी है वह है कि आखिर 26 जनवरी के दिन कोही संविधान लागू होने के लिए क्यों चुना गया जबकि हमारा संविधान तो 26 नवंबर 1949 को ही बन चुका था आखिर 2 माह के बाद की डेट क्यों चुने गए।
इसका उत्तर को जाने के लिए हमें थोड़ा सा इतिहास में जाना पड़ेगा- लॉर्ड इरविन ने 31 अक्टूबर 1929 को एक घोषणा की कि भारत के अधिराज्य स्थिति का दर्जा मिले तथा यह भी घोषणा की गई कि साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा लेकिन इसमें भारत के स्वतंत्रता संबंधी कोई भी घोषणा नहीं की गई थी।
इसके बाद दिसंबर 1929 में महात्मा गांधी ने लॉर्ड इरविन से बात की जिसमें भारत की स्वतंत्रता का कोई हल नहीं निकला।
इस सब से कांग्रेस के नेता बड़े नाराज हुए 31 दिसंबर 1929 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान में) अधिवेशन आयोजित किया गया । इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज के मांग का प्रस्ताव पारित किया गया और सभी भारतीयों से 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
लाहौर इसी लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर भारत का आधिकारिक झंडा फहराया।
इस अधिवेशन के बाद 26 जनवरी 1930 को पहली बार भारतीयों ने स्वाधीनता दिवस अर्थात स्वतंत्रता दिवस मनाया । हालांकि 15 अगस्त 1947 भारत आधिकारिक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद हुआ और इसीलिए इस दिन को प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लेकिन भारतीयों के लिए 26 जनवरी की तारीख बढ़ी टाइम थी इसे हमेशा यादगार व महत्वपूर्ण बनाना चाहते थे इसलिए हमारे संविधान सभा ने 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को लागू करने के लिए चुना ।
इस तरह प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष भारत अपना 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।