शनिवार, मार्च 1, 2025
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एक्स बनाम मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग दिल्ली सरकार |X vs.The Principal Secretary Health and Family Welfare Department in hindi

X बनाम मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग दिल्ली सरकार (2022)

X vs.The Principal Secretary, Health and Family Welfare Department,Govt.  of NCT of Delhi & Anr in hindi 

 

पीठ

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए.बी.बोपन्ना न्यायमूर्ति जे.बी. पर्दीवाला

 

मामले के तथ्य

अपीलार्थी एक 25 वर्षीय अविवाहित महिला है, जो सहमति से संबंध बनाने के परिणाम स्वरूप गर्भवती हो गई, उसके पार्टनर ने अंतिम प्रक्रम पर विवाह करने से इंकार कर दिया,

इसलिए अपीलार्थी ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1973( गर्भ का चिकत्सीय समापन अधिनियम) की धारा 3(2)(b) तथा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी नियम 2003 (यथा संशोधित 2021) के नियम 3B(c) के अधीन गर्भपात कराना चाहती है, इसके लिए अपीलर्थी ने याचिका के लंबित रहते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अनुतोष हेतु दांडिक मिसलेनियस आवेदन किया जिसे, 15 जुलाई 2022 को आदेश के द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया और संप्रेक्षित किया कि एमटीपी एक्ट की धारा 3 (2) (b) वर्तमान मामले के तथ्यों पर अप्रयोज्य थी।

 

निर्णय:-

गर्भपात के संदर्भ में, गरिमा का अधिकार प्रत्येक महिला को, गर्भ के समापन के निर्णय को शामिल करते हुए, प्रजनन का निर्णय लेने की प्रत्येक महिला को सक्षम और प्राधिकृत रूप में मान्यता देता है।

हालांकि प्रत्येक व्यक्ति में मानवीय गरिमा निहित है यह बाहरी शर्तों और उपचारों के लिए राज्य द्वारा लगाया गया अति संवेदनशील  उल्लंघन है।

प्रत्येक महिला को राज्य के असम्यक् हस्तक्षेप के बिना प्रजनन विकल्प चुनने का अधिकार है, यह मानवीय गरिमा के विचार का केंद्रीय बिंदु है, प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल और भावनात्मक शारीरिक स्वास्थ्य की पहुंच से वंचित करना भी महिला की गरिमा को क्षति पहुंचाती है।

मेडिकल टर्मिनेशन एंड प्रेगनेंसी अधिनियम(MTP Act) की धारा 3(2)(b) सहपठित नियम 3B का उद्देश्य महिला की तात्विक परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण अवांछित बना दिए गए 20से 24 सप्ताह के बीच के गर्भपात प्रदान करना है।

उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, नियम 3B क्षेत्र से अविवाहित या एकल महिला ( जो उनकी तात्विक परिस्थितियों में बदलाव का सामना करती है) को बाहर करने के लिए कोई तर्काधार (औचित्य) नहीं है।

नियम 3 बी का संकुचित निर्वाचन मात्र  विवाहित महिलाओं तक सीमित होगा, जो अविवाहित महिलाओं की ओर भेदभावपूर्ण प्रावधान और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।अनुच्छेद 14 में राज्य को विधि के समक्ष समता या विधि के समान संरक्षण से किसी व्यक्ति को वंचित नहीं करने की आवश्यकता है ।

अविवाहित और एकल महिला (जिनका गर्भ 20 से 24 सप्ताह के बीच है) गर्भपात तक पहुंच को प्रतिबंधित करना, जबकि समान अवधि के दौरान एक विवाहित महिला की इजाजत देना, अनुच्छेद 14 को मार्गदर्शित करने वाली भावनाओं को बेईमानी से आहत करना होगा।

विधि,  “अनुज्ञेय सेक्स” क्या गठित करता है, के बारे में संकुचित पितृसत्तात्मक सिद्धांतों के आधार पर, विधान के लाभार्थियों को निश्चित नहीं कर सकती है, जो अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर आक्रामक वर्गीकरण करते हैं और समूह को बाहर करते हैं।

अनुच्छेद 21 के अंतर्गत गरिमा, निजता तथा प्रजनन स्वायत्तता का अधिकार अविवाहित महिला को एक विवाहित महिला के समान ही बच्चे को जन्म देने या ना देने के विकल्प का अधिकार प्रदान करता है।

 

 

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