धारा 3 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023
अध्याय 2 : तथ्यों की सुसंगति के विषय में
- किसी वाद या कार्यवाही में हर विवाद्यक तथ्य के और ऐसे अन्य तथ्यों के, जिन्हें एतस्मिन् पश्चात् सुसंगत घोषित किया गया है, अस्तित्व या अनस्तित्व का साक्ष्य दिया जा सकेगा और किन्हीं अन्यों का नहीं !
स्पष्टीकरण – यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए योग्य नहीं बनाएगी, जिससे सिविल प्रक्रिया से सम्बन्धित किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के किसी उपबन्ध द्वारा वह साबित करने से निर्हकित कर दिया गया है ।
दृष्टांत
(क) ख की मृत्यु कारित करने के आशय से उसे लाठी मार कर उसकी हत्या कारित करने के लिए क का विचारण किया जाता है । क के विचारण में निम्नलिखित तथ्य विवाद्यक है :
क का ख को लाठी से मारना;
क का ऐसी मार द्वारा ख की मृत्यु कारित करना;
ख की मृत्यु कारित करने का क का आशय ।
(ख) एक वादकर्ता अपने साथ वह बन्धपत्र, जिस पर वह निर्भर करता है, मामले की पहली सुनवाई पर अपने साथ नहीं लाता और पेश करने के लिए तैयार नहीं रखता । यह धारा उसे इस योग्य नहीं बनाती कि सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा विहित शर्तों के अनुकूल वह उस कार्यवाही के उत्तरवर्ती प्रक्रम में उस बन्धपत्र को पेश कर सके या उसकी अन्तर्वस्तु को साबित कर सके ।