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जमानत का क्या है एवं जमानत के प्रकार | Jamanat kya hoti hai Evam Jamanat ke prakar | Bail in hindi BNSS 2023

जब भी कोई व्यक्ति अपराध करता है, तब सबसे पहले जमानत( Bail) के बारे में सोचता है। 1 जुलाई 2024 से भारत में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लागू है । जमानत अब इसी विधि से शासित होती है । इस लेख में हम जमानत क्या होती है ?(what is bail) तथा जमानत के प्रकार (types of Bail) को पढ़ेंगे।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023  में जमानत के संबंध  में उपबंध अध्याय 35 में धारा 478 से 496 तक जमानत और बंधपत्रों के शीर्षक के अधीन किया गया है ।

जमानत का क्या है ?( What is bail ?) 

सामान्य अर्थ –

“जमानत किसी आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर कि वे निर्दिष्ट तिथि को न्यायालय में उपस्थित होंगे,अभिरक्षा  से अस्थायी रूप से रिहा करना है.

“Bail is the temporary release of an accused person from custody on the condition that they will appear in court on a specified date”

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 2(1)(b) के अनुसार –

 “जमानत ” से किसी अधिकारी या न्यायालय द्वारा अधिरोपित कतिपय शर्तों पर किसी अपराध के कारित किए जाने के अभियुक्त या संदिग्ध व्यक्ति द्वारा किसी बंधपत्र या जमानतपत्र के निष्पादन पर विधि की अभिरक्षा से ऐसे व्यक्ति का छोड़ा जाना अभिप्रेत है। “

 “bail” means release of a person accused of or suspected of commission of an offence from the custody of law upon certain conditions imposed by an officer or Court on execution by such person of a bond or a bail bond.”

इस परिभाषा के अनुसार जमानत क्या है ऐसे समझे –

किसको मिलती है?

  • किसी अपराध के अभियुक्त या संदिग्ध व्यक्ति को।

कौन देता है?

  • अधिकारी या न्यायालय ।

कैसे मिलती है?

  • कुछ शर्तों (Conditions) के साथ।

किस आधार पर?

  • बंधपत्र (जिसमें व्यक्ति स्वयं से वचन देता है कि वह नियमों का पालन करेगा) या
  • जमानतपत्र (जिसमें कोई अन्य व्यक्ति प्रतिभूति/ज़िम्मेदारी लेता है) के निष्पादन करने पर ।

प्रभाव क्या होता है ?

  • उस व्यक्ति को विधि की अभिरक्षा (legal custody) से छोड़ा जाता है, लेकिन उसका मुकदमा चलता रहता है।

उदाहरण :

ललुआ पर मानहानि का अपराध करने का आरोप है। पुलिस ललुआ को गिरफ्तार करके न्यायालय के सामने लाती है। तब न्यायालय ने पाया कि अपराध जमानतीय (bailable) अपराध है। ललुआ द्वारा जमानत के लिए आवेदन करने पर न्यायालय उससे कहता है कि जमानत के लिए उसे ₹5000 रुपए का बंधपत्र या किसी अन्य व्यक्ति से जमानत दिलवानी होगी, अर्थात् उस व्यक्ति को यह ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि ललुआ को न्यायालय में जब भी बुलाया जाए, वह हाजिर होगा और मामले के विचारण में सहयोग करेगा। इस प्रकार, न्यायालय द्वारा निर्धारित शर्तों को स्वीकार करने और आवश्यक जमानत पेश करने पर ललुआ को अभिरक्षा (जेल) से छोड़ दिया जाता है, लेकिन मामले की कार्यवाही चलती रहती है।

जमानत के प्रकार (Types of Bail)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023(BNSS) में जमानत के 5 प्रकार बताए गए हैं। इन्हें इनके मूल प्रवधनों की सहायता से निम्नलिखित ढंग से समझा जा सकता है ।

1.नियमित जमानत (Regular Bail)

जमानत का पहला प्रकार नियमित जमानत होती है । इसका मतलब होता है जब कोई व्यक्ति गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो वह न्यायालय से जमानत के लिए आवेदन करके प्राप्त कर सकता है ।

जमानतीय अपराधों में धारा 478 के अनुसार –

धारा 478 के अधीन जमानतीय अपराधों में जमानत के प्रावधानों को आसान भाषा में निम्न प्रकार से समझा जा सकता है ।

जमानत के लिए के आवश्यक अर्हता( Eligibility for Bail)
  • ऐसे व्यक्ति जो अजमानतीय अपराध के आरोपी नहीं हैं अर्थात उसने जमानतीय अपराध किया है ।
  • बिना बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है या
  • कोर्ट के समक्ष लाया जाता है,
  • अधिकारी अभिरक्षा में है तब किसी भी समय
  • न्यायालय कार्यवाही के किसी भी प्रक्रम पर
निर्धन व्यक्ति:
  • यदि व्यक्ति निर्धन है (जमानत देने में असमर्थ है), तो अधिकारी या न्यायालय उसे उपस्थित होने के लिए बंधपत्र भरवाने पर छोड़ सकता है।(परन्तु)
  • यदि गिरफ्तारी के एक सप्ताह के भीतर जमानत नहीं दी जाती है, तो व्यक्ति को निर्धन माना जाता है। (स्पष्टीकरण )
अपवाद :
  •  यह धारा धारा 135 की उपधारा (3) या धारा 492 के प्रावधानों को प्रभावित नहीं करती है।
ज़मानत की शर्तों का पालन न करना:
  •  यदि कोई व्यक्ति ज़मानत की शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, तो न्यायालय बाद के मौकों पर ज़मानत देने से इनकार कर सकती है।
  • न्यायालय के पास धारा 491 के अधीन गैर-अनुपालन के लिए दंड अधिरोपित करने की शक्ति है।

 

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