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परिवाद क्या होता है? what is complaint and it’s meaning
जब भी कोई अपराध घटित होता है, उस अपराध से पीड़ित या व्यथित व्यक्ति के पास अपराध विधि को गतिशील करने व अपराधी को दंड दिलाने के उद्देश्य से उस अपराध के घटित होने की सूचना देने के दो विकल्प मौजूद होते हैं
(1).मजिस्ट्रेट को सूचना दें
(2). पुलिस को सूचना दें।
मजिस्ट्रेट को सूचना दी जाती है उसे परिवाद अर्थात complaint कहते हैं ।
आज के लेख में हम परिवाद पर चर्चा करेंगे।परिवाद को हम दो भाग में समझेंगे पहले भाग में जानेगे –
परिवाद क्या होता है?
परिवाद कब संस्थित किया जाता है?
पुलिस रिपोर्ट परिवाद कब समझी जाती है?
एवं परिवाद कौन दायर करता है?
परिवाद के दूसरे भाग में इसकी प्रक्रिया को जानेंगे।(procedure of complaint )।
तो चलिए लेख में आगे बढ़ते हैं-
परिवाद को english में complaint कहते है , जिसका सामान्य अर्थ शिकायत होता है।
परिवाद को उर्दू में इस्तगासा कहते है।
परिवाद को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा (2d) में परिभाषित किया गया है जो कि इस प्रकार है
” परिवाद से इस संहिता अर्थात दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही किए जाने की दृष्टि से मौखिक या लिखित रूप में उससे किया गया यह अभिकथन अभिप्रेरित है कि किसी व्यक्ति ने चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात हो अपराध किया है किंतु इसके अंतर्गत पुलिस रिपोर्ट नहीं है।”
इस परिभाषा से परिवाद के बारे में निम्न बातों का पता चलता है
परिवाद मजिस्ट्रेट से किया जाता है।
परिवाद मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही करने के उद्देश्य से किया जाता है।
परिवाद मौखिक और लिखित दोनों ही प्रकार से किया जा सकता है।
परिवाद किसी अपराध के बारे में होता है।
परिवाद अपराध करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध होता है चाहे ऐसा व्यक्ति ज्ञात हो या अज्ञात हो।
परिवाद में पुलिस रिपोर्ट शामिल नहीं होती है।
पुलिस रिपोर्ट परिवाद कब मनी जाती है ?
इस संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता1973 की धारा 2(d) के स्पष्टीकरण को देख लेते हैं जो कि इस प्रकार है – ऐसे किसी मामले में अन्वेषण के पश्चात किसी असऺज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करता है, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई रिपोर्ट परिवाद समझी जाएगी और वह पुलिस अधिकारी जिसके द्वारा रिपोर्ट की गई है परिवादी समझा जाएगा।
इसको जानने से पहले सऺज्ञेय (cognizable) और असऺज्ञेय (Non cognizable) अपराध व मामले कौन से होते है , इन्हें जान लेते है :-
सऺज्ञेय अपराध व मामले – दोनों को ही दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2(c) में परिभाषित किया गया है –
सऺज्ञेय अपराध (cognizable offence):-
” संज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और ‘”संज्ञेय मामला‘” से ऐसा मामला
अभिप्रेत है जिसमें, पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है; ।
अर्थात सामान्य भाषा में कहें तो ये गम्भीर प्रकृति के अपराध होते है, जैसे हत्या, रेप आदि। FIR केवल संज्ञेय मामलों की ही दर्ज होती है। और
असंज्ञेय अपराध व मामले दोनों को ही दंड प्रक्रिया संहिता1973 की धारा 2(l) में परिभाषित है :
असऺज्ञेय अपराध (Non cognizable offence):
” असंज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है, जिसके लिए और “असंज्ञेय मामला” से ऐसा
मामला अभिप्रेत है, जिसमें पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है।”
अर्थात ये कम गम्भीर प्रकृति के अपराध होते है- जैसे स्वेच्छया उपहती करना, लोक न्यूसेंस आदि।
असंज्ञेय अपराधों में सामान्यतः परिवाद दायर होता है लेकिन जब इनकी सूचना पुलिस को दी जाती है तो वह NCR अर्थात असंज्ञेय रिपोर्ट के रूप में दर्ज होती है।
अब हम समझते है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(d) के स्पष्टीकरण को (पुलिस रिपोर्ट परिवाद कब मानी जाती है)
कोई ऐसा मामला अर्थात संज्ञेय मामला था, पुलिस अधिकारी ने उसमें इन्वेस्टिगेशन ( investigation) किया और पुलिस अधिकारी ने यह पाया कि, यह अपराध संज्ञेय ना होकर असंज्ञेय अपराध है और उस पुलिस ऑफिसर ने धारा 173(2) के अधीन मजिस्ट्रेट को को रिपोर्ट भेज दी, तब उसकी वह रिपोर्ट परिवाद मानी जाएगी और पुलिस अधिकारी परिवादी समझा जाएगा।
अत: इस तरह पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित मामले परिवाद में परिवर्तित हो जाते हैं।
अब यह और जान लेते है कि
परिवाद कौन दायर करता है?(who files complaint)
सामान्य नियम तो यही है, कि परिवाद ऐसा कोई भी व्यक्ति दायर कर सकता है, जिसको अपराध के बारे में जानकारी है।
अर्थात पीड़ित व्यक्ति या कोई अन्य व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्ति भी परिवाद दायर कर सकते है।
परिवाद दायर करने वाले को परिवादी और जब परिवाद एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा दायर किया जाता है तो उन्हें संयुक्त परिवादी कहते हैं।
लेकिन कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें परिवाद केवल वही व्यक्ति दायर कर सकते हैं जो कि परिवाद दायर करने के लिए स्पेसिफाइड होते हैं।
जैसे- विवाह विरुद्ध अपराध, मानहानि का अपराध आदि। ऐसे अपराध होते हैं जो सामान्य नियम के अपवाद स्वरूप होते हैं ।
परिवाद के संबंध में प्रक्रिया धारा 200 से 203 में बताई गई है जिसे हम अगले लेख में जानेंगे ।
आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में लिखें।
संभावित प्रश्न:-
परिवाद से आप क्या समझते हैं एवं इसे कौन दायर कर सकता है साथ ही उन परिस्थियो को भी बताएं जिनमें पुलिस रिपोर्ट परिवाद में परिवर्तित हो जाती है?