section 32 of indian evidence act | धारा 32 साक्ष्य अधिनियम |section 32 of indian evidence act in hindi

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भारतीय-साक्ष्य-अधिनियम-indian-evidence-act-1872-bare-act-in-hindi.
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उन व्यक्तियों के कथन, जिन्हें साक्ष्य में बुलाया नहीं जा सकता

32. वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि — सुसंगत तथ्यों के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत हैं

(1) जबकि वह मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है— जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे
में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो। ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किए गए थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है. प्रकृति कैसी ही क्यों न हो।

(2) अथवा कारबार के अनुक्रम में किया गया है— जबकि वह कथन ऐसे व्यक्ति द्वारा कारवार के मामूली अनुक्रम में
किया गया था तथा विशेषतः जबकि वह उसके द्वारा कारवार के मामूली अनुक्रम में या वृत्तिक कर्तव्य के निर्वहन में रखी जाने बाली पुस्तकों में उसके द्वारा की गई किसी प्रविष्टि या किए गए ज्ञापन के रूप में है, अथवा उसके द्वारा धन, माल, प्रतिभूतियों या किसी भी किस्म की सम्पत्ति की प्राप्ति की लिखित या हस्ताक्षरित अभिस्वीकृत है, अथवा वाणिज्य में उपयोग में आने वाली उसके द्वारा लिखित या हस्ताक्षरित किसी दस्तावेज के रूप में है अथवा किसी पत्र या अन्य दस्तावेज की तारीख के रूप में है, जो कि उसके द्वारा प्रायः दिनांकित, लिखित या हस्ताक्षरित की जाती थी ।

(3) अथवा करने वाले के हित के विरुद्ध है— जबकि वह कथन उसे करने वाले व्यक्ति के धन सम्बन्धी या साम्पत्तिक हित के विरुद्ध है या जबकि, यदि वह सत्य हो, तो उसके कारण उस पर दाण्डिक अभियोजन या नुकसानी का वाद लाया जा सकता है या लाया जा सकता था।

(4) अथवा लोक अधिकार या रूद्धि के बारे में या साधारण हित के विषयों के बारे में कोई राय देता है— जबकि उस कथन में उपर्युक्त व्यक्ति की राय किसी ऐसे लोक अधिकार या रूद्रि अथवा लोक या साधारण हित के विषय के अस्तित्व के बारे में है, जिसके अस्तित्व से, यदि वह अस्तित्व में होता तो उससे उस व्यक्ति का अवगत होना सम्भाव्य होता और जब कि ऐसा कथन ऐसे किसी अधिकार, रूद्र या बात के बारे में किसी संविवाद के उत्पन्न होने से पहले किया गया था।

(5) अथवा नातेदारी के अस्तित्व से सम्बन्धित है— जब कि वह कथन किन्हीं ऐसे व्यक्तियों के बीच रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण पर आधारित] किसी नातेदारी के अस्तित्व के सम्बन्ध में है, जिन व्यक्तियों की (रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण पर आधारित) नातेदारी के बारे में उस व्यक्ति के पास, जिसने वह कथन किया है, ज्ञान के विशेष साधन थे और जब कि वह
कथन विवादग्रस्त प्रश्न के उठाए जाने से पूर्व किया गया था।

(6) अथवा कौटुम्बिक बातों से सम्बन्धित विल या विलेख में किया गया है— जब कि वह कथन मृत व्यक्तियों के बीच [रक्त. विवाह या दत्तकग्रहण पर आधारित] किसी नातेदारी के अस्तित्व के सम्बन्ध में है और उस कुटुम्ब की बातों से, जिसका ऐसा मृत व्यक्ति अंग था. सम्बन्धित किसी विल या विलेख में या किसी कुटुम्ब- वंशावली में या किसी समाधिप्रस्तर, कुटुम्ब चित्र या अन्य चीज पर जिस पर ऐसे कथन प्रायः किए जाते हैं, किया गया है, और जब कि ऐसा कथन विवादग्रस्त प्रश्न के उठाए जाने से पूर्व किया गया था।

(7) अथवा धारा 13, खंड (क) में वर्णित संव्यवहार से सम्बन्धित दस्तावेज में किया गया है— जब कि वह कथन किसी ऐसे विलेख, विल या अन्य दस्तावेज में अन्तर्विष्ट है, जो किसी ऐसे संव्यवहार से सम्बन्धित है जैसा धारा 13, खण्ड (क) में वर्णित है।

(8) अथवा कई व्यक्तियों द्वारा किया गया है और प्रश्नगत बात से सुसंगत भावनाएं अभिव्यक्त करता है— जब कि वह कथन कई व्यक्तियों द्वारा किया गया था और प्रश्नगत बात से सुसंगत उनकी भावनाओं या धारणाओं को अभिव्यक्त करता है।

दृष्टांत

(क) प्रश्न यह है कि क्या क की हत्या व द्वारा की गई थी. अथवा
क की मृत्यु किसी संव्यवहार में हुई क्षतियों से हुई है, जिसके अनुक्रम में उससे बलात्संत किया गया था
प्रश्न यह है कि क्या उससे ख द्वारा बलात्संग किया गया था, अथवा
प्रश्न यह है कि क्या क, ख द्वारा ऐसी परिस्थितियों में मारा गया था कि क की विधवा द्वारा ख पर बाद लाया जा सकता है।
अपनी मृत्यु के कारण के बारे में क द्वारा किए गए वे कथन, जो उसने क्रमशः विचाराधीन हत्या, बलात्संग और अनुयोज्य दोष को निर्देशित करते हुए किए है. सुसंगत तथ्य हैं।

(ख) प्रश्न के के जन्म की तारीख के बारे में है।
एक मृत शल्य-चिकित्सक की अपने कारवार के मामूली अनुक्रम में नियमित रूप से रखी जाने वाली डायरी में इस कथन की प्रविष्टि कि अमुक दिन उसने क की माता की परिचर्या की और उसे पुत्र का प्रसव कराया सुसंगत तथ्य है।

(ग) प्रश्न यह है कि क्या क अमुक दिन कलकत्ते में था।
कारवार के मामूली अनुक्रम में नियमित रूप से रखी गई एक मृत सालिसिटर की डायरी में यह कथन कि अमुक दिन वह सालिसिटर कलकत्ते में एक वर्णित स्थान पर विनिर्दिष्ट कारवार के बारे में विचार-विमर्श करने के प्रयोजनार्थ क के पास
रहा सुसंगत तथ्य है।

(घ) प्रश्न यह है कि क्या कोई पोत मुम्बई बन्दरगाह से अमुक दिन रवाना हुआ।

किसी वाणिज्यिक फर्म के जिसके द्वारा वह पोत भाड़े पर लिया गया था, मृत भागीदार द्वारा लन्दन स्थित अपने सम्पर्कियों को, जिन्हें वह स्थोरा परेषित किया गया था. यह कथन करने वाला पत्र कि पोत मुम्बई बन्दरगाह से अमुक दिन चल दिया सुसंगत तथ्य है।

(ङ) प्रश्न यह कि क्या क को अमुक भूमि का भाटक दिया गया था।
क के मृत अभिकर्ता का क के नाम पत्र जिसमें यह कथन है कि उसने क के निमित्त भाटक प्राप्त किया है और वह उसे
क के आदेशाधीन रखे हुए है, सुसंगत तथ्य है।

(च) प्रश्न यह है कि क्या के और ख का विवाह वैध रूप से हुआ था।
एक मृत पादरी का यह कथन कि उसने उनका विवाह ऐसी परिस्थितियों में कराया था, जिनमें उसका कराना अपराध होता, सुसंगत है।

(छ) प्रश्न यह है कि क्या एक व्यक्ति क ने, जो मिल नहीं सकता अमुक दिन एक पत्र लिखा था। यह तथ्य कि उसके द्वारा
लिखित एक पत्र पर उस दिन की तारीख दिनांकित है, सुसंगत है।

(ज) प्रश्न यह है कि किसी पोत के ध्वंस का कारण क्या है।
कप्तान द्वारा, जिसकी हाजिरी उपाप्त नहीं की जा सकती, दिया गया प्रसाक्ष्य सुसंगत तथ्य है।

(झ) प्रश्न यह है कि क्या अमुक सड़क लोक मार्ग है।
ग्राम के मृत ग्रामीण क के द्वारा किया गया कथन कि वह सड़क लोक मार्ग है, सुसंगत तथ्य है।

(ञ) प्रश्न यह है कि विशिष्ट बाजार में अमुक दिन अनाज की क्या कीमत थी।
एक मृत बनिए द्वारा अपने कारवार के मामूली अनुक्रम में किया गया कीमत का कथन सुसंगत तथ्य है।

(ट) प्रश्न यह है कि क्या क, जो मर चुका है ख का पिता था।
क द्वारा किया गया यह कथन कि ख उसका पुत्र है सुसंगत तथ्य है।

(ठ) प्रश्न यह कि क के जन्म की तारीख क्या है।
क के मृत पिता द्वारा किसी मित्र को लिखा हुआ पत्र, जिसमें यह बताया गया है कि क का जन्म अमुक दिन हुआ, सुसंगत तथ्य है।

(ड) प्रश्न यह है कि क्या और कब क और ख का विवाह हुआ था।
व के मृत पिता ग द्वारा किसी याददाश्त पुस्तक में अपनी पुत्री का क के साथ अमुक तारीख को विवाह होने की प्रविष्ट सुसंगत तथ्य है।

(ढ) दुकान की खिड़की में अभिदर्शित रंगित उपहासांकन में अभिव्यक्त अपमानलेख के लिए ख पर के बाद लाता है। प्रश्न उपहासांकन की समरूपता तथा उसके अपमानलेखीय प्रकृति के बारे में है। इन बातों पर दर्शकों की भीड़ की टिप्पणियां साबित की जा सकेंगी।

व्याख्या Explanation 

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 32 के अधीन प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति को साक्ष्य देने के लिए निम्नलिखित कारणों से न्यायालय मे नहीं बुलाया जा सकता है –

  • मर जाने के कारण
  • जो मिल नहीं सकता अर्थात कहीं विलुप्त हो गया हो ।
  • साक्ष्य देने मे असमर्थ हो गया है
  • मामले की परिस्थितियों मे न्यायालय अयुक्तियुक्त व्यय या बिलंब के बिना उसे नहीं बुलाया जा सकता है।

यदि इनमे से भी किसी भी कारण से साक्षी कोर्ट मे नहीं आ सकता तब न्यायालय उसके द्वारा कहे गए या लिखित कथनों को निम्न दशाओं मे सुसंगत होता है –

  1. जहां वह उस व्यक्ति की मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है।
  2. कारबार के अनुक्रम में रखी जाने वाली पुस्तक या प्रतिभूतियों या दस्तावेज मे किया गया है।
  3. करने वाले के व्यक्ति के धन या संपत्ति संबंधी हित के विरुद्ध है।
  4. लोक अधिकार या रूद्धि के बारे में या साधारण हित के विषयों के बारे में कोई राय देता है।
  5. नातेदारी के अस्तित्व से सम्बन्धित है।
  6. कौटुम्बिक बातों से सम्बन्धित विल या विलेख में किया गया है।
  7. धारा 13, खंड (क) में वर्णित संव्यवहार से सम्बन्धित दस्तावेज में किया गया है।
  8. कई व्यक्तियों द्वारा किया गया है और प्रश्नगत बात से सुसंगत भावनाएं अभिव्यक्त करता है।

FAQ:

Q. मृत्युकालिक कथन(dying declaration ) भारतीय साक्ष्य अधिनियम की किस धारा में सुसंगत होते हैं ?

A. धारा 32 (1)

Q. नातेदारी के अस्तित्व के स्मबंध मे किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कथंन सुसंगत होते हैं ?

A. धारा 32 (5)

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