अध्याय 2 – संविदाओं, शून्यकरणीय संविदाओं और शून्य करारों के विषय में
धारा 10. कौन से करार संविदाएं हैं.- सब करार संविदाएं हैं, यदि वे संविदा करने के लिए सक्षम पक्षकारों की स्वतन्त्र सम्मति से किसी विधिपूर्ण प्रतिफल के लिए और किसी विधिपूर्ण उद्देश्य से किए गए हैं और एतद्द्वारा अभिव्यक्ततः शून्य घोषित नहीं किए गए हैं। इसमें अन्तर्विष्ट कोई भी बात भारत में प्रवृत्त और एतद्द्वारा अभिव्यक्तः निरसित न की गई किसी ऐसी विधि पर, जिसके द्वारा किसी संविदा का लिखित रूप में या साक्षियों की उपस्थिति में किया जाना अपेक्षित हो, या किसी ऐसी विधि पर जो दस्तावेजों के रजिस्ट्रीकरण से सम्बन्धित हो प्रभाव न डालेगी ।
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व्याख्या (explanation)
संविदा अधिनियम की धारा 10 उस परिस्थिति को बताती है, जिसमे करार संविदा होता है, क्यों कि संविदा अधिनियम की धारा 2 (h) यह उपबंध करती है कि कोई करार तभी संविदा बन सकता है, जब विधि के अनुसार लागू किया जा सकता है अन्यथा वह करार संविदा नहीं होगा धारा 10 इसी बात को आगे बढ़ाते है । इसके अनुसार कोई करार तभी संविदा हो सकेगा जब वह –
- सक्षम पक्षकार द्वारा हो
- स्वतंत्र सहमति से हो
- विधिपूर्ण उद्देश्य एवं प्रतिफल हो
- अभिव्यक्त रूप से शून्य घोषित न् हो
- लिखित एवं पंजीबद्ध हो
उपरोक्त दशाएं होने पर करार संविदा बनता है ।
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उत्तर : धारा 10