धारा 19 का मूल पाठ :
अध्याय 6 : नियोजक के कर्तव्य
19 नियोजक के कर्तव्य- प्रत्येक नियोजक
(क) कार्यस्थल पर सुरक्षित कार्य वातावरण उपलब्ध कराएगा, जिसके अंतर्गत कार्यस्थल पर संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से सुरक्षा भी है;
(ख) लैंगिक उत्पीड़न के शास्तिक परिणाम; और धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन आंतरिक समिति का गठन करने वाले आदेश को कार्यस्थल में किसी सहजदृश्य स्थान पर प्रदर्शित करेगा;
(ग) अधिनियम के उपबंधों से कर्मचारियों को सुग्राही बनाने के लिए नियमित अंतरालों पर कार्यशालाएं और जानकारी कार्यक्रम और आंतरिक समिति के सदस्यों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम, ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, आयोजित करेगा;
(घ) यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को परिवाद पर कार्यवाही करने और जांच का संचालन करने के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएगा;
(ङ) यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति के समक्ष प्रत्यर्थी और साक्षियों की हाजिरी सुनिश्चित करने में सहायता करेगा;
(च) यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराएगा, जो धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन किए गए परिवाद को ध्यान में रखते हुए अपेक्षित हो;
(छ) महिला को, यदि वह भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन अपराध के संबंध में कोई परिवाद फाइल करना, चयन करती है, सहायता प्रदान करेगा;
(ज) ऐसे कार्यस्थल में, जिसमें लैंगिक उत्पीड़न की घटना हुई थी, अपराधकर्ता के विरुद्ध या यदि व्यथित महिला ऐसी वांछा करती है, जहां अपराधकर्ता कोई कर्मचारी नहीं है, भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कार्रवाई आरंभ करवाएगा;
(झ) लैंगिक उत्पीड़न को सेवा नियमों के अधीन कदाचार मानेगा और ऐसे कदाचार के लिए कार्रवाई आरंभ करेगा;
(ञ) आंतरिक समिति द्वारा रिपोर्टों को समय पर प्रस्तुत किए जाने को मानिटर करेगा।