धारा 14 का मूल पाठ :
14.मिथ्या या द्वेषपूर्ण परिवाद और मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड-(1) जहां, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि प्रत्यर्थी के विरुद्ध अभिकथन द्वेषपूर्ण है या व्यथित महिला या परिवाद करने वाले किसी अन्य व्यक्ति ने परिवाद को मिथ्या जानते हुए किया है या व्यथित महिला या परिवाद करने वाले किसी अन्य व्यक्ति ने कोई कूटरचित या भ्रामक दस्तावेज पेश किया है तो वह, यथास्थिति, नियोजक या जिला अधिकारी को ऐसी महिला या व्यक्ति के विरुद्ध जिसने, यथास्थिति, धारा 9 की उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन परिवाद किया है, उसको लागू सेवा नियमों के उपबंधों के अनुसार या जहां ऐसे सेवा नियम विद्यमान नहीं हैं, वहां, ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, कार्रवाई करने की सिफारिश कर सकेगी :
परंतु किसी परिवाद को सिद्ध करने या पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराने में केवल असमर्थता, इस धारा के अधीन परिवादी के विरुद्ध कार्रवाई आकर्षित नहीं करेगी :
परंतु यह और कि किसी कार्रवाई की सिफारिश किए जाने से पूर्व, विहित प्रक्रिया के अनुसार कोई जांच करने के पश्चात् परिवादी की ओर से द्वेषपूर्ण आशय सिद्ध किया जाएगा।
(2) जहां, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि जांच के दौरान किसी साक्षी ने मिथ्या साक्ष्य दिया है या कोई कूटरचित या भ्रामक दस्तावेज दिया है, वहां वह, यथास्थिति, साक्षी के नियोजक या जिला अधिकारी को, उक्त साक्षी को लागू सेवा नियमों के उपबंधों के अनुसार या जहां ऐसे सेवा नियम विद्यमान नहीं हैं, वहां ऐसी रीति से, जो विहित कार्रवाई करने की सिफारिश कर सकेगी।