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भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 4
निकटता से संसक्त तथ्य
- एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति- जो तथ्य विवाद्यक न होते हुए भी किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य से उस प्रकार संसक्त है कि वे एक ही संव्यवहार के भाग हैं, वे तथ्य सुसंगत हैं, चाहे वे उसी समय और स्थान पर या विभिन्न समयों और स्थानों पर घटित हुए हों ।
दृष्टांत
(क) ख को पीट कर उसकी हत्या करने का क अभियुक्त है । क या ख या पास खड़े लोगों द्वारा जो कुछ भी पिटाई के समय या उससे इतने अल्पकाल पूर्व या पश्चात् कहा या किया गया था कि वह उसी संव्यवहार का भाग बन गया है, वह सुसंगत तथ्य है।
(ख) क एक सशस्त्र विप्लव में भाग लेकर, जिसमें सम्पत्ति नष्ट की जाती है, फौजों पर आक्रमण किया जाता है और जेलें तोड़ कर खोली जाती हैं, ‘[भारत सरकार] के विरुद्ध युद्ध करने का अभियुक्त है। इन तथ्यों का घटित होना साधारण संव्यवहार का भाग होने के नाते सुसंगत है, चाहे क उन सभी में उपस्थित न रहा हो।
(ग) क एक पत्र में, जो एक पत्र-व्यवहार का भाग है, अन्तर्विष्ट अपमान-लेख के लिए ख पर वाद लाता है। जिस विषय में अपमान-लेख उद्भूत हुआ है, उससे सम्बन्ध रखने वाली पक्षकारों के बीच जितनी चिट्ठियां उस पत्र-व्यवहार का भाग हैं जिसमें वह अन्तर्विष्ट, वे सुसंगत है तथ्य हैं, चाहे उनमें वह अपमान-लेख स्वयं अन्तर्विष्ट न हो।
(घ) प्रश्न यह है कि क्या ख से आदिष्ट अमुक माल क को परिदत्त किया गया था। वह माल, अनुक्रमश: कई मध्यवर्ती व्यक्तियों को परिदत्त किया गया था। हर एक परिदान सुसंगत तथ्य है।
व्याख्या (explanation)
साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 4 में एक ही संव्यवहार का भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगतता बताई गई है । यह पुराने साक्ष्य अधिनियम 1872 में धारा 6 में विहित था । इसे ही रेस जेस्टे का सिद्धानंत भी कहते हैं ।