article 245 of constitution in hindi | अनुच्छेद 245 क्या है ? |article 245 of indian constitution
अनुच्छेद 245 के अनुसार :संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार- (1) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद् भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी और किसी राज्य का विधान-मंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा।
(2) संसद् द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर अधिमान्य नहीं समझी जाएगी कि उसका राज्यक्षेत्रातीत प्रवर्तन होगा।
व्याख्या (Explanation )
भारत मे विधि बनाने की शक्ति केंद्र व राज्य के पास है । इन्हें यह शक्ति संविधान से मिली है । अनुच्छेद 245 के अधीन यह उपबंध किया गया है कि संसद ओर राज्य विधान मंडलों के द्वारा बनाई गई विधि कहाँ लागू होगी अर्थात इस प्रकार बनाई गई विधि का विस्तार क्या होगा ? अनुच्छेद 245 का खंड 1 कहता है कि संसद सम्पूर्ण भारत के राज्यक्षेत्र लिए या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकती है, वहीं राज्य के विधान मण्डल अपने सम्पूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकता है। सरल शब्दों मे कहें तो संसद, अपने द्वारा बनाई गई विधि को भारत मे या उसके किसी भाग मे कहीँ भी विस्तारित कर सकती है। साथ ही राज्य विधान मंडलों द्वरा बनाई गई विधि को संबंधित राज्य या उसके किसी भाग मे कहीँ भी लागू की जा सकती है ।
अनुच्छेद 245 का खंड 2 यह प्रावधान करता है कि संसद द्वारा बनाई गई भी विधि उसके अधिकार क्षेत्र से परे विस्तारित होने मात्र से अविधिमान्य नहीं होगी । इसी खंड मे संसद की किसी विधि को राज्यक्षेत्रातीत प्रवर्तित कराने की शक्ति विहित है ।
अनुच्छेद 245 का खंड 1 मे वर्णित नियम के विरुद्ध राज्य विधानमण्डल को अपने द्वारा बनाई गई विधि/कानून अपने राज्यक्षेत्र से बाहर, लागू करवाने की शक्ति प्राप्त होती। जिस विधि के नियम से यह शक्ति मिली है, उसे क्षेत्रिक/प्रादेशिक संबंध का सिद्धांत कहते हैं ।
FAQ:
संविधान के किस प्रावधान के अधीन क्षेत्रिक/प्रादेशिक संबंध का सिद्धांत निहित है ?
A. अनुच्छेद 245