शुक्रवार, फ़रवरी 28, 2025
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शराब बंदी के संवैधानिक प्रावधान |Concept Of Alcohol Prohibition In Indian Constitution

शराब बंदी के संवैधानिक प्रावधान (Concept Of Alcohol Prohibition In  Indian Constitution)

 

राज्यों को सबसे अधिक राजस्व शराब से मिलता है , फिर भी कई राज्यों ने अपना राजस्व घाटा उठाकर शराब बंदी लागू की है । संविधान का कौन सा उपबंध है जो राज्यों को शराबबंदी के लिए सशक्त करता है?
इन राज्यों को ऐसा करना  क्यों आवश्यक है? आगे हम इन्हीं सवालों का जवाब जानेंगे।

 

चलिए आगे बढ़ते हैं जैसा कि हम जानते हैं,  गुजरात ,बिहार, मिजोरम ,नागालैंड और एकमात्र संघराज्य क्षेत्र लक्ष्यद्वीप में शराब बंदी लागू है यहां किसी भी रूप में शराब का क्रय-विक्रय निषेध है ।

 

हम बात करें इस संबंध में संवैधानिक प्रावधान की तो भाग 4 राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में समाहित अनुच्छेद 47 को जान लेते हैं।
अनुच्छेद 47 राज्य यह प्राथमिक कर्तव्य होगा कि वह अपने लोगों के पोषण आहार और जीवन स्तर ऊंचा करें और लोक स्वास्थ्य में सुधार करें और विशेष रूप से यह भी प्रयास करेगा कि मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों को प्रतिशत करें सिवाय ऐसी औषधियों को छोड़कर जो दवा के प्रायोजन से उपयोग की जाती है।

 

इसी  अनुच्छेद की शक्तियों का प्रयोग करके गुजरात, बिहार आदि ने अपने राज्य के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करने एवं लोक स्वास्थ्य में सुधार करने  के उद्देश्य से इस संबंध में कानून बनाकर शराबबंदी लागू की

 

जैसे :- गुजरात में –  बॉम्बे निषेध ( गुजरात संशोधन )अधिनियम 2009

 

बिहार में – बिहार मध्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016
मिजोरम में – मिजोरम शराब (निषेध और नियंत्रण) अधिनियम 2014
आदि।
अनुच्छेद 47 के अधीन केंद्र सरकार ने “स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985”, अर्थात जिसे NDPS के नाम से जानते हैं। इस अधिनियम के माध्यम से सरकार ने नशीले पदार्थों व औषधियों  जैसे अफीम, चरस, इत्यादि को प्रतिषेध किया।
अन्तत: कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 47 के प्रावधानों के अधीन  कोई भी राज्य अपने लोगों के जीवन स्तर पर लोक स्वास्थ्य की आवश्यकता को ध्यान में रखकर शराबबंदी कर सकता है।

 

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