Sunday, September 22, 2024
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संस्वीकृति क्या है | confession meaning in hindi

संस्वीकृति क्या है | confession meaning in hindi

जब कोई अपराध घटित होता है, तब अपराधी को दंडित कराने के लिए, न्यायालय के समक्ष अभिलेख पर साक्ष्य उपलब्ध कराने का भार सामान्यत: अभियोजन पक्ष पर होता है। ऐसे मे यदि अभियुक्त ही अपने अपराध करने की बात को स्वीकार कर लेता है, तो उस स्थिति मे अभियोजन के साक्ष्य का भार  कम हो जाता है । आज इस लेख मे confession अर्थात संस्वीकृति पर बात करने वाले है।

संस्वीकृति का अर्थ (meaning of confession)

संस्वीकृति के बारे मे साक्ष्य अधिनियम के अध्याय 2 मे स्वीकृतियाँ शीर्षक के अधीन धारा 24 से 30 तक मे उपबंध किए गए है किन्तु संस्वीकृति अर्थात confession शब्द को कही भी परिभाषित नहीं किया गया है ।

संस्वीकृति को सर्वप्रथम जेम्स स्टीफन के द्वारा परिभाषित किया गया था उनके अनुसार –

“अपराधी द्वारा अपराध के संबंध मे की गई स्वीकृति संस्वीकृति कहलाती है।”

लॉर्ड एटकिन के अनुसार : –

“संस्वीकृति ऐसी होनी चाहिये जिसके द्वारा या तो अपराध को दोषपूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया गया हो, और या कम से कम अपराध से संम्बन्धित करीब-करीब सभी तथ्य स्वीकार कर लिये गये हों। किसी एक ऐसे तथ्य को स्वीकार करना, जो गम्भीर रूप से और चाहे निश्चयात्मक रूप से अपराध में फँसाने वाला हो, वह इतने से ही संस्वीकृति नहीं हो सकता।”

-पाकला नारायण स्वामी बनाम एम्परर(1939 pc)

पाकला नारायण स्वामी बनाम एम्पर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निम्न प्रकार से परिभाषित किया :-

प्रथम यह कि संस्वीकृति की परिभाषा यह है कि इससे या तो अपराध के दोषों को स्पष्ट रूप से मान लिया गया हो या लगभग ऐसे तथ्य स्वीकार कर लिये गये हों जो उस अपराध को गठित करते हैं। दूसरे यह कि ऐसा मिश्रित कथन जो चाहे कुछ सीमा तक संस्वीकृति तो है परन्तु ऐसा है कि अन्त में वह अभियुक्त को बरी करवा देगा, संस्वीकृति नहीं कहा जा सकता।

-पलविन्दर कौर बनाम स्टेट ऑफ पंजाब

संस्वीकृति कब विसंगत होती है ? (When is a confession irrelevant?)

संस्वीकृति के संबंध मे प्रावधान धारा 24 से 30 तक मे किए गए, जिनके अंतर्गत वे परिस्थितियाँ भी बताई गई  जिनमे संस्वीकृति विसंगत होती है, जो की निम्नलिखित है –

1.उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति:- अभियुक्त व्यक्ति द्वारा की गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में विसंगत होती है, यदि उसके किए जाने के बारे में न्यायालय को प्रतीत होता हो कि अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध आरोप के बारे में वह ऐसी उत्प्रेरणा, धमकी, या वचन द्वारा कराई गई है जो प्राधिकारवान् व्यक्ति की ओर से दिया गया है और जो न्यायालय की राय में इसके लिए पर्याप्त हो कि वह अभियुक्त व्यक्ति को यह अनुमान करने के लिए उसे युक्तियुक्त प्रतीत होने वाले आधार देती है कि उसके करने से वह अपने विरुद्ध कार्यवाहियों के बारे में ऐहिक रूप का कोई फायदा उठाएगा या ऐहिक रूप की किसी बुराई का परिवर्जन कर लेगा। (धारा 24 )

2. पुलिस से की गई संस्वीकृति:- किसी पुलिस आफिसर से की गई कोई भी संस्वीकृति किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध साबित न की जाएगी। (धारा 25)

3. पुलिस अभिरक्षा मे की गई संस्वीकृति:- कोई भी संस्वीकृति, जो किसी व्यक्ति ने उस समय की हो जब वह पुलिस आफिसर की अभिरक्षा में हो, ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध साबित न की जाएगी जब तक कि वह मजिस्ट्रेट की साक्षात् उपस्थिति में न की गई हो। (धारा 26)

संस्वीकृति कब सुसंगत होती है ? (When is a confession relevant?)

संस्वीकृति निम्नलिखित परिस्थितियो मे सुसंगत होती है,

1.धमकी प्रलोभन के समाप्त हो जाने पर :- यदि ऐसी कोई संस्वीकृति, जैसी धारा 24 में निर्दिष्ट है, न्यायालय की राय में उसके मन पर प्रभाव के, जो ऐसी किसी उत्प्रेरणा, धमकी या वचन से कारित हुआ है, पूर्णतः दूर हो जाने के पश्चात् की गई है, तो वह सुसंगत है। (धारा 28)

2.अन्यथा सुसंगत संस्वीकृति:- यदि ऐसी संस्वीकृति अन्यथा सुसंगत है, तो वह केवल इसलिए कि वह गुप्त रखने के वचन के अधीन या उसे अभिप्राप्त करने के प्रयोजनार्थ अभियुक्त व्यक्ति से की गई प्रवंचना के परिणामस्वरूप, या उस समय जबकि वह मत्त था की गई थी अथवा इसलिए कि वह ऐसे प्रश्नों के, चाहे उनका रूप कैसा ही क्यों न रहा हो, उत्तर में की गई थी जिनका उत्तर देना उसके लिए आवश्यक नहीं था, अथवा केवल इसलिए कि उसे यह चेतावनी नहीं दी गई थी कि वह ऐसी संस्वीकृति करने के लिए आबद्ध नहीं था और कि उसके विरद्ध उसका साक्ष्य दिया जा सकेगा, विसंगत नहीं हो जाती ।

4.मजिस्ट्रेट की साक्षात उपस्थिति मे की गई संस्वीकृति:-  कोई भी संस्वीकृति जब किसी व्यक्ति के द्वारा पुलिस अभिरक्षा मे होते हुए , मजिस्ट्रेट की साक्षात उपस्थिति मे की जाती है वह सुसंगत होती है और अभियुक्त के विरुद्ध साबित की जा सकती है ।

5. अभियुक्त की जानकारी से पता चले तथ्य :- जब किसी तथ्य के बारे में यह अभिसाक्ष्य दिया जाता है कि किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से जो पुलिस आफिसर की अभिरक्षा में हो, प्राप्त जानकारी के परिणामस्वरूप उसका पता चला है, तब ऐसी जानकारी में से, उतना चाहे वह संस्वीकृति की कोटि में आती हो या नहीं, जितनी एतद्द्द्वारा पता चले हुए तथ्य से स्पष्टतया संबंधित है, साबित की जा सकेगी।

अपराधी द्वारा की गई संस्वीकृति सुसंगत एवं विसंगत होती है । अर्थात जब संस्वीकृति विसंगत होती है तो उसे अभियुक्त के विरुद्ध साबित नहीं किया जा सकता है तथा जब सुसंगत होती है तो उस संस्वीकृति को साबित किया जा सकता है

लेख पर आधारित प्रश्न:  संस्वीकृति को परिभाषित कीजिए तथा संस्वीकृति किन परिस्थितियों मे विसंगत  तथा सुसंगत होती है ? 

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