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महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 : धारा 2 – परिभाषाएं

धारा 2 का मूल पाठ :

2. परिभाषाएं- इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “व्यथित महिला” से निम्नलिखित अभिप्रेत है,-

(i) किसी कार्यस्थल के संबंध में, किसी भी आयु की ऐसी महिला, चाहे नियोजित है या नहीं, जो प्रत्यर्थी

द्वारा लैंगिक उत्पीड़न के किसी कार्य के करने का अभिकथन करती है;

(ii) किसी निवास स्थान या गृह के संबंध में, किसी भी आयु की ऐसी महिला, जो ऐसे किसी निवास स्थान या गृह में नियोजित है;

(ख) “समुचित सरकार” से निम्नलिखित अभिप्रेत है,-

(i) ऐसे कार्यस्थल के संबंध में, जो,-

(अ) केन्द्रीय सरकार या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णतः या भागतः वित्तपोषित है, केन्द्रीय सरकार;

(आ) राज्य सरकार द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णतः या भागतः वित्तपोषित है, राज्य सरकार;

(ii) उपखंड (i) के अंतर्गत न आने वाले और उसके राज्यक्षेत्र के भीतर आने वाले किसी कार्यस्थल के संबंध में, राज्य सरकार;

(ग) “अध्यक्ष” से धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन नामनिर्दिष्ट स्थानीय परिवाद समिति का अध्यक्ष अभिप्रेत है;

(घ) “जिला अधिकारी” से धारा 5 के अधीन अधिसूचित कोई अधिकारी अभिप्रेत है;

(ङ) “घरेलू कर्मकार” से ऐसी कोई महिला अभिप्रेत है जो किसी गृहस्थी में पारिश्रमिक के लिए गृहस्थी का कार्य करने के लिए, चाहे नकद या वस्तुरूप में, या तो सीधे या किसी अभिकरण के माध्यम से अस्थायी, स्थायी, अंशकालिक या पूर्णकालिक आधार पर नियोजित है किंतु इसके अंतर्गत नियोजक के कुटुंब का कोई सदस्य नहीं है;

(च) “कर्मचारी” से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, जो किसी कार्यस्थल पर किसी कार्य के लिए या तो सीधे या किसी अभिकर्ता के माध्यम से, जिसके अंतर्गत कोई ठेकेदार भी है, प्रधान नियोजक की जानकारी से या उसके बिना, नियमित, अस्थायी, तदर्थ या दैनिक मजदूरी के आधार पर, चाहे पारिश्रमिक पर या उसके बिना, नियोजित है या स्वैच्छिक आधार पर या अन्यथा कार्य कर रहा है, चाहे नियोजन के निबंधन अभिव्यक्त या विवक्षित हैं या नहीं और इसके अंतर्गत कोई सहकर्मकार, कोई संविदा कर्मकार, परिवीक्षाधीन, शिक्षु, प्रशिक्षु या ऐसे किसी अन्य नाम से ज्ञात कोई व्यक्ति भी है;

(छ) “नियोजक” से निम्नलिखित अभिप्रेत है,-

(i) समुचित सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के किसी विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, कार्यालय, शाखा या यूनिट के संबंध में, उस विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, कार्यालय, शाखा या यूनिट का प्रधान या ऐसा अन्य अधिकारी जो, यथास्थिति, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा इस निमित्त आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए;

(ii) उपखंड (i) के अंतर्गत न आने वाले किसी कार्यस्थल के संबंध में, कार्यस्थल के प्रबंध, पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए उत्तरदायी कोई व्यक्ति।

स्पष्टीकरण- इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए, “प्रबंध” के अंतर्गत ऐसे संगठन के लिए नीतियों की

विनिर्मिति और प्रशासन के लिए उत्तरदायी व्यक्ति या बोर्ड या समिति भी है;

(iii) उपखंड (1) और उपखंड (ii) के अंतर्गत आने वाले कार्यस्थल के संबंध में, अपने कर्मचारियों के संबंध में संविदात्मक बाध्यताओं का निर्वह्न करने वाला व्यक्ति;

(iv) किसी निवास स्थान या गृह के संबंध में, ऐसा कोई व्यक्ति या गृहस्थी, जो ऐसे नियोजित कर्मकार की संख्या, समयावधि या प्रकार या नियोजन की प्रकृति या घरेलू कर्मकार द्वारा निष्पादित कार्यकलापों का विचार किए बिना, घरेलू कर्मकार को नियोजित करता है या उसके नियोजन से फायदा प्राप्त करता है;

(ज) “आंतरिक समिति” से धारा 4 के अधीन गठित आंतरिक परिवाद समिति अभिप्रेत है;

(छ) “स्थानीय समिति” से धारा 6 के अधीन गठित स्थानीय परिवाद समिति अभिप्रेत है;

(ञ) “सदस्य” से, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति का कोई सदस्य अभिप्रेत है;

(ट) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;

(ठ) “पीठासीन अधिकारी” से धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन नामनिर्दिष्ट किया गया आंतरिक परिवाद समिति का पीठासीन अधिकारी अभिप्रेत है;

(ड) “प्रत्यर्थी” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके विरुद्ध व्यथित महिला ने धारा 9 के अधीन कोई परिवाद किया है;

(ढ) “लैंगिक उत्पीड़न” के अन्तर्गत निम्नलिखित कोई एक या अधिक अवांछनीय कार्य या व्यवहार चाहे प्रत्यक्ष रूप

से या विवक्षित रूप से हैं, अर्थात् :-

(i) शारीरिक संपर्क और अग्रगमन; या

(ii) लैंगिक अनुकूलता की मांग या अनुरोध करना; या

(iii) लैंगिक अत्युक्त टिप्पणियां करना; या

(iv) अश्लील साहित्य दिखाना; या

(v) लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य अवांछनीय शारीरिक, मौखिक या अमौखिक आचरण करना;

(ण) “कार्यस्थल” के अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं-

(i) ऐसा कोई विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, कार्यालय, शाखा या यूनिट, जो समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या किसी सरकारी कम्पनी या निगम या सहकारी सोसाइटी द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या पूर्णतः या सारतः, उसके द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा वित्तपोषित की जाती है;

(ii) कोई प्राइवेट सेक्टर संगठन या किसी प्राइवेट उद्यम, उपक्रम, उद्यम, संस्था, स्थापन, सोसाइटी, न्यास, गैर-सरकारी संगठन, यूनिट या सेवा प्रदाता, जो वाणिज्यिक, वृत्तिक, व्यावसायिक, शैक्षिक, मनोरंजक, औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवाएं या वित्तीय क्रियाकलाप करता है, जिनके अंतर्गत उत्पादन, प्रदाता, विक्रय, वितरण या सेवा भी है;

(iii) अस्पताल या परिचर्या गृह;

(iv) प्रशिक्षण, खेलकूद या उनसे संबंधित अन्य क्रियाकलापों के लिए प्रयुक्त, कोई खेलकूद संस्थान, स्टेडियम, खेलकूद प्रक्षेत्र या प्रतिस्पर्धा या क्रीड़ा का स्थान, चाहे आवासीय है या नहीं;

(v) नियोजन से उद्भूत या उसके प्रक्रम के दौरान कर्मचारी द्वारा परिदर्शित कोई स्थान जिसके अंतर्गत ऐसी यात्रा करने के लिए नियोजक द्वारा उपलब्ध कराया गया परिवहन भी है;

(vi) कोई निवास स्थान या कोई गृह;

(त) किसी कार्यस्थल के संबंध में, असंगठित सेक्टर से ऐसा कोई उद्यम अभिप्रेत है, जो व्यष्टियों या स्वनियोजित कर्मकारों के स्वामित्वाधीन है और किसी प्रकार के माल के उत्पादन या विक्रय अथवा सेवा प्रदान करने में लगा हुआ है और जहां उद्यम, कर्मकारों को नियोजित करता है, वहां ऐसे कर्मकारों की संख्या दस से अन्यून है।

धारा 2 की व्याख्या :

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 की अन्य धाराएं :

धारा 2
धारा 3
धारा 4
धारा 5
धारा 6
धारा 7
धारा 8
धारा 9
धारा 10
धारा 11
धारा 12
धारा 13
धारा 14
धारा 15
धारा 16
धारा 17
धारा 18
धारा 19
धारा 20
धारा 21
धारा 22
धारा 23
धारा 24
धारा 25
धारा 26
धारा 27
धारा 28
धारा 29
धारा 30
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