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भारत में न्यायिक सेवा परीक्षा: व्यापक मार्गदर्शन
भारत में नयायिक सेवा परीक्षा विधि स्नातकों को भारतीय न्यायिक प्रशासन का हिस्सा बनने का महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान...
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F.I.R. and N.C.R. क्या है? FIR and NCR में क्या अंतर होता है?
What is FIR and NCR in Hindi |Fir and NCR Difference in Hindi
इस लेख में हम बात करेंगे f.i.r. और NCR (एनसीआर) क्या होता है और साथ ही जानेंगे कि f.i.r. व NCR एनसीआर में अंतर क्या होता है?
सामान्यता अपराध दो प्रकार के होते हैं संज्ञेय अपराध और असंज्ञेय अपराध ।
संज्ञेय अपराध(Cognizable offence):-
संज्ञेय अपराध को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(c)में परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार
“संज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “संज्ञेय मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें, पुलिसअधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि केअनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है।
यानी संज्ञेय अपराध वे होते है जिसमें पुलिस अधिकारी बिना कोर्ट के वारंट के गिरफ्तार कर सकता है अर्थात ये गंभीर प्रकृति के अपराध होते है । जैसे – हत्या, रेप, लूट, आदि
असंज्ञेय अपराध (NON cognizable)
असंज्ञेय अपराध को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(l) में परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार
“असंज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “असंज्ञेय मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें पुलिस अिधकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने का प्राधिकार नहीं होता है।
यानी असंज्ञेय अपराध ऐसे अपराध होते है जिनमे पुलिस अधिकारी कोर्ट के वारंट के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकता है। यह कम गंभीर प्रकृति के अपराध होते हैं।
जैसे – मानहानि, कूटरचना, सामान्य उपहति कारित करना।
जब कोई व्यक्ति संज्ञेय अपराध करने की सूचना पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को देता है तब वह धारा 154 की प्रक्रिया से उसे लेखबद्ध करता है तो वह F.I.R. कहलाती है जिसे हम हिंदी में प्रथम सूचना प्रतिवेदन या प्राथमिकी कहते है।
धारा 154 सीआरपीसी
संज्ञेय मामलो में इतिला —(1) संज्ञेय अपराध के किए जानेसे संबंधित प्रत्येक इत्तिला, यदि पुिलस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है तो उसके उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन लेखबद्घ कर ली जाएगी और इत्तिला देनेवाले को पढ़कर सुनाई
जाएगी और प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप मे लेखबद्घ की गई हो, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जो उसे दे और उसका सार ऐसी पुस्तक में जो उस आधिकारी द्वारा ऐसे प्रारूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार इस
निमित विहित करे, प्रविष्ट किया जाएगा ।
इस धारा के अंर्तगत पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के द्वारा एफ.आई.आर दर्ज करने के संबंध में प्रक्रिया बताई गई है जिसके अनुसार यदि संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी को को दी जाती है तब वह उसे लेखबद्ध कर लेता है सूचना देने वाले को पढ़कर सुना देता है और इस एक रजिस्टर में दर्ज कर लेता है ।
लेकिन जहां अपराध बालतसंग आदि है तब सूचना महिला पुलिस अधिकारी द्वारा लिखी जाएगी अगर थाने में कोई महिला पुलिस अधिकारी नहीं तब किसी भी महिला अधिकरकि द्वारा लिखी जाएगी। ऐसा प्रावधान 2013 के संशोधन से किए गए है।
और जहां की वह महिला जिसके विरुद्ध अपराध हुआ है यदि यदि वह महिला स्थाई या अस्थाई तौर पर शारीरिक या मानसिक रूप तौर पर निशक्त है तब उस महिला के पसंद के स्थान पर ही एफआईआर की जाएगी।
यानी उक्त धारा 154 में विहित प्रक्रिया के अनुसार संज्ञेय मामलो की सूचना लिखी जाती है तो वह FIR कहलाती है।
उदाहरण – B व्यक्ति की हत्या के लिए A उस पर गोली चलाता है लेकिन वह बच जाता है B जब इसकी सूचना को थाने में जाकर देता है तो पुलिस थाने का भार साधक अधिकारी रिपोर्ट लिखता है और क्योंकि मामला संज्ञेय है इसलिए दी गई सूचना FIR कहलाती हैं।
NCR क्या है? ( What is NCR)
जबा असंज्ञेय अपराध के किए जाने की सूचना पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी को दी जाती है तब वह उसे धारा 155 के अधीन लेखबद्द करके सूचना देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने को कहता है अर्थात यूं कहें कि असंज्ञेय मामलो में जो रिर्पोट लिखी जाती है वही N.C.R यानी non cognizable report कहलाती है जिसे हिंदी में असंज्ञेय रिर्पोट या असंज्ञेय प्रतिवेदन कहते है।
उदाहरण – आईपीसी की धारा 510 के अधीन यदि कोई मतता की हालत में लोक स्थान में प्रवेश करता है या क्षोभ कारित है, जब इस अपराध की सुचना पुलिस अधिकारी को दी जाती है तब वह उसे लेखबद करके सूचना देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने को कहता है।
F.I.R. व N.C.R. के मध्य अंतर
Difference between F.I.R. AND N.C.R.
अब F.I.R. व N.C.R. के मध्य अंतर की बात करे तो इनके बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित है-
1. F.i.r. संज्ञेय मामलों यानी गंभीर प्रकृति के अपराधों में की जाती है।
जबकि
N.C.R.असंज्ञेय मामलों यानी कम गंभीर प्रकृति के अपराधों में की जाती है।
2. F.I.R. होने पर पुलिस ऑफिसर स्वयं कार्यवाही कर सकता है।
जबकि
N.C.R. की दशा में पुलिस अधिकारी स्वयं कार्यवाही ना करके सूचना देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने को कहता है।
3.F.I.R. होने पर पुलिस अधिकारी वारंट के बिना ही अपराध से संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। जबकि
N.C.R. की दशा में पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
4. F.I.R. होने पर पुलिस अन्वेषण का कार्य प्रारंभ कर देती है ।
जबकि
N.C.R. की दशा में अन्वेषण मजिस्ट्रेट के आदेश प्राप्त होने पर ही किया जाता है।
संभावित प्रश्न- F.I.R. व N.C.R. से आप क्या समझते हैं । तथा यह भी समझाइए की F.I.R. N.C.R. से किस प्रकार भिन्न है?