समान सिविल संहिता क्यों आवश्यक है?(why ucc is required)
भारत में जब भी ऐसा कोई मामला आता है, जिसमें पारिवारिक कोई विवाद शामिल हो। हमेशा ही समान सिविल संहिता की चर्चा शुरू हो जाती है। आखिर समान सिविल संहिता की आवश्यकता क्यों है ? समान सिविल संहिता की जरूरत को निम्नलिखित आधार हैं –
समानता (equality) :
भारत के संविधान में अनुच्छेद 14 से 18 तक में समानता का अधिकार दिया गया है, जिसके आधार पर किसी भी व्यक्ति से अयुक्तियुक्त भेदभाव नहीं किया जाएगा।
वर्तमान में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून लागू उन्हीं के हिसाब से मामलों का निपटारा होता है। इनमें कुछ असमानताएं भी है । समान सिविल संहिता के माध्यम से अयुक्तियुक्त भेदभाव को समाप्त किया जा सकेगा ।
लैंगिक न्याय (gender justice):
जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि अलग-अलग धर्मों के संबंध में अलग-अलग कानून हैं तथा इन कानूनों में महिलाओं के अधिकार भी भिन्न-भिन्न है आज भी महिलाओं के प्रति भेदभाव होता है जैसे हिंदू मुस्लिम ईसाई कानूनों में एक महिला को तलाक के लिए अलग-अलग उपबंध किए गए हैं।
तथा जो हमारे सामने विभिन्न मामलों के माध्यम से सामने आते हैं जैसे शाह बानो बेगम का मामला सायरा बानो बेगम आदि के मामलों में हमने देखा।
समान सिविल संहिता लैंगिक न्याय अर्थात लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने में सहायक हो सकेगी।
राष्ट्रीय एकता (national equality):
समान नागरिक संहिता राष्ट्रीय एकता के लिए भी जरूरी है जब देश में सभी धर्मों और समुदाय के लिए एक समान कानून लागू होगा, तो इस देश में कानून के एकीकरण में मदद मिलेगी और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित हो सकेगी।
कानून का सरलीकरण (simplification of law ):
भारत में लागू कानून में कई जटिलताएं विद्यमान है, जो समय-समय पर न्यायालय के समक्ष आती रहती हैं, जिनका निर्धारण माननीय उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय समय-समय पर करते रहते हैं । यदि समान सिविल संहिता को लागू किया जाता है, तो इससे कानून में व्याप्त जटिलताएं वैधानिक स्तर पर ही दूर की जा सकेगी। जिससे कानून सरल हो जाएगा।
शीघ्र न्याय:
कहते हैं कि न्याय में विलंब न्याय से इंकार के समान है। आज अलग-अलग कानून लागू होने से पीड़ित को न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है,
क्योंकि जजों व वकीलों को अलग-अलग कानून पढ़ने पड़ते हैं और साथ ही उनके प्रावधान भी भिन्न-भिन्न होने से न्याय पूर्ण निर्णय लेने में काफी समय लग जाता है।
समान सिविल संहिता के लागू होने से कानूनों का सरलीकरण हो जाएगा और एक ही कानून समान रूप से सभी पर लागू होने से शीघ्र न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।