- क्या अन्तरित किया जा सकेगा – – किसी भी किस्म की सम्पत्ति, इस अधिनियम या किसी भी अन्य तत्समय-प्रवृत्त विधि द्वारा उपबंधित के सिवाय, अन्तरित की जा सकेगी ।
(क) किसी प्रत्यक्ष वारिस की सम्पदा का उत्तराधिकारी होने की संभावना, कुल्य की मृत्यु पर किसी नातेदार की वसीयत-सम्पदा अभिप्राप्त करने की संभावना या इसी प्रकृति की कोई अन्य संभावना मात्र अन्तरित नहीं की जा सकती;
(ख) किसी उत्तरभाव्य शर्त के भंग के कारण पुनःप्रवेश का अधिकार मात्र उस सम्पत्ति का, जिस पर तद्द्वारा प्रभाव पड़ा है, स्वामी के सिवाय किसी अन्य को अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(ग) कोई सुखाचार अधिष्ठायी स्थल से पृथक्तः अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(घ) सम्पत्ति में का ऐसा हित, जो उपभोग में स्वयं स्वामी तक ही निर्बन्धित है, उसके द्वारा अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(घघ) भावी भरणपोषण का अधिकार, चाहे वह किसी भी रीति से उद्भूत, प्रतिभूत या अवधारित हो, अन्तरित नहीं किया जा सकता ।
(ङ) वाद लाने का अधिकार मात्र अन्तरित नहीं किया जा सकता
(च) लोक पद अन्तरित नहीं किया जा सकता, और न लोक आफिसर का संबलम् उसके देय होने से, चाहे पूर्व या पश्चात् अन्तरित किया जा सकता;
(छ) वृत्तिकाएँ, जो सरकार के सैनिक, नौसैनिक वायुसैनिक और सिविल पेंशन भोगियों को अनुज्ञात हों, और राजनैतिक पेन्शनें अन्तरित नहीं की जा सकती!
(ज) कोई भी अन्तरण (1) जहाँ तक वह तद्द्वारा उस हित की, जिस पर, प्रभाव पड़ा है, प्रकृति के प्रतिकूल हो, या (2) जो भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) की धारा 23 के अर्थ के अन्तर्गत किसी विधिविरुद्ध उद्देश्य या प्रतिफल के लिये हो, या (3) जो ऐसे व्यक्ति को, जो अन्तरिती होने से विधित: निरर्हित हो, नहीं किया जा सकता;
(झ) इस धारा की कोई भी बात अधिभोग का अनन्तरणीय अधिकार रखने वाले किसी अभिधारी को, उस सम्पदा के फार्मर को, जिस सम्पदा के लिये राजस्व देने में व्यतिक्रम हुआ है, या किसी प्रतिपाल्य अधिकरण के प्रबन्ध के अधीन किसी सम्पदा के पट्टेदार को, ऐसे अभिधारी, फार्मर या पट्टेदार के नाते अपने हित का समनुदेशन करने के बारे में प्राधिकृत करने वाली नहीं समझी जाएगी ।