साक्ष्य अधिनियम मे स्वीकृति और संस्वीकृति का महत्वपूर्ण स्थान है । यह आपराधिक विचारण मे सुसंगत होती । इन दोनों के मध्य काफी भिन्नता होती है जिसका उल्लेख निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा रहा है जो आपकी समझ को स्वीकृति और संस्वीकृति में अंतर के सम्बध मे विकसित करने मे सहायक होंगे ।
1. व्यापकता |
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स्वीकृति शब्द अधिक व्यापक हैं क्योंकि इसके अन्तर्गत संस्वीकृति समाहित होती है। जबकि |
संस्वीकृति शब्द में सभी प्रकार की स्वीकृति नहीं आती है, इसमे केवल वही स्वीकृति आ सकती हैं, जिसमे अपराध के दोषी होने या अपराध संबंधी तथ्यों को स्वीकार किया गया हो। |
2. करने वाला (कर्ता) |
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स्वीकृति वाद के पक्षकारों, उनके अभिकर्ताओ, प्रतिनिधियो, हितबद्ध पक्षकार, व्यक्ति जिनसे हित व्युत्पन्न हुआ, और नाम निर्देशित व्यक्ति द्वारा की जा सकती हैं, जबकि |
संस्वीकृति के अभियुक्त व्यक्तिद्वारा ही की जा सकती है। |
3. मामले |
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स्वीकृति सिविल तथा दांडिक दोनो मामलो में की जा सकती है, जबकि |
संस्वीकृती केवल आपराधिक मामलों में ही की जा सकती है। |
4. प्रयोग |
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स्वीकृति का प्रयोग किसी बात को साबित करने के लिए अपवादित परिस्थितियों के सिवाय, उसे करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध प्रयोग किया जाता है। जबकि |
संस्वीकृती का प्रयोग अपराध से संबंधित होने के कारण अपराध में संलिप्त अन्य सह अभियुक्त के विरुद्ध भी प्रयोग की जा सकती हो। |
5. साक्षियक महत्व |
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स्वीकृति निश्चायक साक्ष्य नहीं है किन्तु यह विबंध के रूप में प्रयुक्त हो सकती हैं अर्थात न्यायालय इसके दोषसिद्ध नही कर सकता जब तक की अन्य साक्ष्य द्वारा संपुष्ट न हो, जबकि |
संस्वीकृति उच्च कोटि का विश्वसनीय साक्ष्य होता है अर्थात न्यायालय इसके आधार पर दोषसिद्ध सकता है। |
6 परिस्थिति |
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स्वीकृति भले ही किसी भी व्यक्ति से की गई हो चाहे वह पुलिस से हो, आधिकारवान व्यक्ति से हो या उत्प्रेरणा या धमकी के अधीन होने के बावजूद भी सुसंगत होती है, जबकि |
संस्वीकृति तभी सुसंगत होती जब वह स्वतंत्र व स्वैच्छिक हो। |
7. परिभाषा |
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स्वीकृति की परिभाषा स्वयं भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 17 में की गई है, जबकि |
संस्वीकृति की परिभाषा अधिनियम में न करके न्यायालय द्वारा दी गई है। |