
सीआरपीसी की धारा 319 पर दिशा निर्देश | Sukhpal Singh Khaira vs State of Punjab 5 december 2022 | सुखपाल सिंह खैरा बनाम पंजाब राज्य 2022
सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन न्यायालय अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध दोषसिद्धि के आदेश के समय क्या अन्य अभियुक्त को विचारण हेतु समन कर सकता है ? यदि हा तो इसके लिए न्यायालय किन दिशा निर्देशों का पालन करेगा ।
उच्चतम न्यायालय
दांडिक अपील क्रमांक 2019 का 885
सुखपाल सिंह खैरा ….अपीलार्थी
बनाम
पंजाब राज्य …. प्रत्यर्थी
निर्णय दिनाँक : 05/12/2022
पीठ :जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी.रामसुब्रमण्यम, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
मामले के तथ्य :
इस मामले में 05/03 /2015 को सदर थाना जलालाबाद में 11 अभियुक्तों के विरुद्ध एनडीपीएस की धारा 21 24 25 27 28 और 29 तथा आर्म्स एक्ट की धारा 25a और आईटी एक्ट की धारा 66 के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज की गई थी। सेशन प्रकरण क्रमांक 289/2015 में 06/09/2015 को आरोप पत्र पेश किया गया जिसमे 10अभियुक्तों को विचारण के लिए समन किया गया, यद्यपि दूसरा आरोपपत्र पुलिस द्वारा पेश किया गया जिसमें अपीलार्थी का नाम अभियुक्त के रूप में नहीं था।
यह ध्यान देने योग्य है की सेशन प्रकरण क्रमांक 289 /2015 की कार्यवाही में 11 अभियुक्तों मे से 10 के विरुद्ध थी और चूंकि उनमे से एक अभियुक्त उपलब्ध नहीं था, इस संबंध मे मामला विभजित(दो भागों मे विभाजित ) कर दिया गया था तथा बाद मे 3/09 /2019 को सेशन प्रकरण क्रमांक 217 /2019 के रूप मे संख्यांकित किया गया । इस पृष्ठभूमि
विचारणीय प्रश्न :
- क्या विचारण न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने की शक्ति है, जब अन्य सह-अभियुक्तों के संबंध में विचारण समाप्त हो गया है तथा समन आदेश सुनाने से पूर्व उसी तारीख को दोषसिद्धि का निर्णय सुनाया गया है?
- क्या विचारण न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने की शक्ति है,, जब कुछ अन्य फरार अभियुक्तों (जिनकी उपस्थिति बाद में सुनिश्चित की गई है) के संबंध में विचारण चल रहा है/लंबित है, मुख्य विचारण से पृथक हो गया है?
- धारा 319 CrPC क अधीन शक्ति का प्रयोग करते समय सक्षम न्यायालय को किन दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए?”
निर्णय :
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- क्या विचारण न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने की शक्ति है, जब अन्य सह-अभियुक्तों के संबंध में विचारण समाप्त हो गया है तथा समन आदेश सुनाने से पूर्व उसी तारीख को दोषसिद्धि का निर्णय सुनाया गया है?
सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन शक्ति को, जहां अभियुक्त की दोषसिद्धि का निर्णय है, वहाँ दंड के आदेश को सुनाने से पहले अवलम्ब लिया तथा प्रयोग किया जाना है। दोषमुक्ति के मामले में, दोषमुक्ति का आदेश सुनाए जाने से पहले शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसलिए समन आदेश को दोषसिद्धि के मामले में दंड अधिरोपित करने के द्वारा विचारण के निष्कर्ष से पहले होना चाहिए। यदि आदेश उसी दिन पारित किया जाता है, तो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की परीक्षा करनी होगी तथा यदि ऐसा समन आदेश या तो दोषमुक्त होने के आदेश के बाद या दोषसिद्धि के मामले में दंड अधिरोपित करने के बाद पारित किया जाता है, तो वह दीर्घकालिक/स्थाई (sustainable) नहीं होगा।
2.क्या विचारण न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने की शक्ति है,, जब कुछ अन्य फरार अभियुक्तों (जिनकी उपस्थिति बाद में सुनिश्चित की गई है) के संबंध में विचारण चल रहा है/लंबित है, मुख्य विचारण से पृथक हो गया है?
विचारण न्यायालय के पास अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने की शक्ति है, जहां विचारण, फरार अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद उसके के संबंध में किया जाता है। लेकिन मुख्य संपन्न विचारण में अभिलिखित साक्ष्य समन आदेश का आधार नहीं हो सकता है, यदि ऐसी शक्ति का मुख्य विचारण में इसके निष्कर्ष तक प्रयोग नहीं किया गया है।
3. धारा 319 CrPC क अधीन शक्ति का प्रयोग करते समय सक्षम न्यायालय को किन दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए?”
धारा 319 CrPC क अधीन शक्ति का प्रयोग करते समय सक्षम न्यायालय को निम्न दिशानिर्देशों का पालन करे :
(I) यदि सक्षम न्यायालय को साक्ष्य मिलते हैं या यदि सीआरपीसी की धारा 319 के तहत दोषमुक्त होने या दंड पर आदेश पारित करने से पहले विचारण में किसी भी स्तर पर अभिलिखित किए गए साक्ष्यों के आधार पर अपराध करने में किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता के संबंध में आवेदन फाइल किया जाता है, तो वह इस प्रक्रम पर विचारण को रोक देगा।
(II) न्यायालय तत्पश्चात पहले आवश्यकता या अन्यथा अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करना विनिश्चितकरेगा और उस पर आदेश पारित करें।
(III) यदि न्यायालय का विनिश्चय सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन शक्ति का प्रयोग करना है तथा अभियुक्त को समन करने पर, ऐसा समन आदेश मुख्य मामले में विचारण के साथ आगे कार्यवाही करने से पहले पारित किया जाएगा।
(IV) यदि अतिरिक्त अभियुक्तों का समन आदेश पारित किया जाता है,तो उस प्रक्रम के आधार पर जिस पर इसको पारित किया गया है,न्यायालय इस तथ्य पर भी अपना ध्यान देगा कि क्या ऐसे समनित अभियुक्तों को अन्य अभियुक्तों के साथ या पृथक रूप से विचारित किया जाना है।
(V) यदि विनिश्चय संयुक्त विचारण के लिए है, तो नवीन विचारण समनित अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद ही प्रारंभ किया जाएगा।
(VI) यदि यह विनिश्चय है कि समन किए गए अभियुक्तों का प्रथक से विचारण किया जा सकता है, तो ऐसा आदेश दिए जाने पर, न्यायालय के लिए उन अभियुक्तों के विरुद्ध विचारण जारी रखने और समाप्त करने में कोई बाधा नहीं होगी, जिन पर कार्यवाही की जा रही थी।
(VII) यदि उपरोक्त (i) में रोकी गई कार्यवाही ऐसे मामले में है, जहाँ पर विचारित किए गए अभियुक्तों को दोषमुक्त किया जाना है तथा विनिश्चय यह है कि समनित अभियुक्तों का प्रथक से नवीन विचारण किया जा सकता है, तो मुख्य मामले में दोषमुक्ति का निर्णय पारित करने में कोई बाधा नहीं होगी।
(VIII) यदि शक्ति का आह्वान या प्रयोग मुख्य विचारण मे इसके निष्कर्ष तक नहीं किया जाता है और यदि कोई विभाजित (विभाजित) मामला है, तो सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन शक्ति का उपयोग या प्रयोग केवल तभी किया जा सकता है जब उस प्रभाव के साक्ष्य, विभाजित (द्विभाजित) विचारण में बुलाए जाने वाले अतिरिक्त अभियुक्तों की भागीदारी की ओर इशारा करते हो ।
(IX) यदि तर्कों को सुनने के बाद और मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा जाता है, तो न्यायालय को सीआरपीसी की धारा 319 के अधीन शक्ति का आह्वान करने और उसका प्रयोग करने का अवसर उत्पन्न होता है, न्यायालय के लिए समुचित रास्ता मामले को फिर से सुनवाई के लिए निर्धारित करना है।
(X) इसे पुन: सुनवाई के लिए निर्धारित करने पर, समन के बारे में निर्णय लेने के लिए अधिकथित प्रक्रिया; संयुक्त विचारण का आयोजन या अन्यथा तय किया जाएगा और तदनुसार आगे बढ़ेगा।
(XI) ऐसे मामले में भी, उस प्रक्रम पर, यदि विनिश्चय अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने और संयुक्त विचारण आयोजित करने का है, तो विचारण तथा कार्यवाही नए सिरे से की जाएगी।
(XII) यदि, उस परिस्थिति में, जैसा कि पूर्व मे संकेत किया गया है, समनित अभियुक्त के मामले में प्रथक विचारण करने का विनिश्चय है;
(a) मुख्य मामले का विनिश्चय दोषसिद्धि तथा दंड सुनाकर निर्णीत किया जा सकता है और फिर समन किए गए अभियुक्तों के विरुद्ध नए सिरे से कार्रवाई की जा सकती है।
(b) दोषमुक्ति के मामले में मुख्य मामले में उस प्रभाव का आदेश पारित किया जाएगा तथा फिर समन किए गए अभियुक्तों के विरुद्ध नए सिरे से कार्रवाई की जाएगी।