मंगलवार, मई 13, 2025
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विधिक सहायता क्लिनिक CLINICAL LEGAL AID

 

 

विधिक सहायता क्लिनिक का अर्थ

विधिक सहायता क्लिनिक एक ऐसी सुविधा है, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अपने जिले में स्थापित की जाती है , जिसके द्वारा वकीलों और पैरालीगल स्वयंसेवकों का उपयोग करके नि:शुल्क विधिक सहायता के लिए मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करने का काम करती है। इसके अन्तर्गत वे क्लीनिक भी शामिल हैं , जो छात्र-छात्राएं द्वारा लॉ कॉलेज में स्थापित की जाती हैं।

 

विधिक सेवा से तात्पर्य

विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम  ,1987 की   धारा 2(c)

विधिक सेवा के अंतर्गत किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकरण के समक्ष किसी मामले या अन्य विधिक कार्यवाही के संचालन में कोई सेवा करना या किसी विधिक विषय के संबंध में सलाह देना है।

 
विधिक सहायता क्लीनिक के स्तर या प्रकार-
विधिक सहायता क्लीनिक निम्न लिखत दो स्तर पर होती है
1. जिला स्तर पर 
2.लॉ कॉलेज के स्तर पर
 
लॉ स्कूल आधारित विधिक सहायता क्लीनिक क्या हैं?
बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रत्येक विधिक शिक्षा संस्थान को एक वरिष्ठ विधिक प्रोफेसर की देखरेख में एक विधिक सहायता क्लिनिक स्थापित करने और चलाने के लिए बाध्यता अधिरोपित करता है, जो संस्था के अंतिम वर्ष के छात्रों द्वारा विधिक सहायता प्राधिकरणों के सहयोग से संचालित क्लिनिक के साथ विधिक सहायता क्लीनिक का संचालन कर सकता है। स्वैच्छिक वकील और अन्य गैर-सरकारी संगठन इस संबंध में अपने गली मोहल्लों में आम तौर पर लगे हुए हैं, जहाँ से संस्था के छात्र समुदाय आते हैं।
 

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विधिक क्लीनिक सहायता की सेवाएं व कार्य –

विधिक सहायता से वंचित लोगों को होने वाली कानूनी समस्याओं के लिए वन स्टॉप शॉप की तरह कार्य करती है।
विवादों के बारे में निशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना।
मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनवाने के लिए आवेदन पत्र तैयार करना।
विभिन्न योजनाओं की जानकारी एवं उनसे संबंधित फॉर्म भरवाना।
सरकारी अधिकारियों कि कार्यालयों में वॉलिंटियर्स क्लाइंट के साथ जाने एवं सहायता करना।
 
संवैधानिक प्रावधान�-
अनुच्छेद 39A
राज्य सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार से काम करें कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और वह विशिष्ट रूप से ,यह सुनिश्चित करने के लिए की आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए उपयुक्त विधान या स्कीम के द्वारा या किसी अन्य रीति से निशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।
 

नि:शुल्क विधिक सहायता का अधिकार –

एम.एम. हसकाट बानम महाराष्ट्र राज्य ( AIR 1978SC)

इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभी निर्धारित किया कि निशुल्क कानूनी सहायता पाने का अधिकार है और इन शर्तों का उल्लंघन अनुच्छेद 21 में विहित दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार का अतिक्रमण करता है। निशुल्क विधिक सहायता राज्य का कर्तव्य है ना कि राज्य का दान|
 
निष्कर्ष- 
 
विधिक सहायता क्लीनिक के माध्यम से हम उन वंचित वर्ग तक न्याय की पहुंच उपलब्ध करा सकते हैं जो अपनी गरीब एवं कोर्ट के महंगे खर्चे के कारण न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक देने से घबराते हैं,। ऐसे में ये उन लोगों के लिए विधिक विवादों को न्यायालय तक लाने में मील का पत्थर साबित होगा, जो अपने हक कि जानकारी के अभाव में अपने अधिकारों से वंचित रह जाते है।
 
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