डिक्री एवं आदेश दोनों ही न्यायालय के निर्णय की प्रारूपिक अभिव्यक्ति होते हैं फिर भी डिक्री और बीच में कुछ अंतर होता है,जो कि उनके प्रकृति के कारण होता है। इस अंतर को जानने से पहले डिक्री एवं आदेश क्या होता है इसे जान लेते हैं।

डिक्री क्या है

डिक्री से ऐसे न्यायनिर्णयन की प्रारूपिक अभिव्यक्ति अभिप्रेत है, जो, जहां तक कि वह उसे अभिव्यक्त करने वाले न्यायालय से संबंधित है, वाद में के सभी या किन्हीं विवादग्रस्त विषयों के संबंध में पक्षकारों के अधिकारों का निश्चायक रूप से अवधारण करता है और वह या तो प्रारंभिक या अंतिम हो सकेगी। यह समझा जायेगा कि उसके अंतर्गत

वादपत्र का नामंजूर किया जाना और धारा 144 के भीतर के किसी प्रश्न का अवधारणा आता है किंतु इसके अंतर्गत

(क) न तो कोई ऐसा न्याय निर्णयन आएगा जिस की अपील आदेश की अपील की भांति होती है और

(ख) न व्यतिक्रम के लिए खारिज करने का कोई आदेश आएगा

स्पष्टीकरण – डिक्री तब प्रारंभिक होती है जब वाद के पूर्ण रूप से निपटा दिए जा सकने से पहले आगे और कार्यवाहियाँ की जानी है। वह तब अंतिम होती है जबकि ऐसा न्यायनिर्णयन बाद को पूर्ण रूप से निपटा देता है। वह भागत: प्रारंभिक और भागत: अंतिम हो सकेगी।

आदेश क्या है ? What is Order

आदेश को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 2(14) में आदेश की परिभाषा दी गई है जिसके अनुसार–आदेश से सिविल न्यायालय के निर्णय की प्रारूपिक अभिव्यक्ति हैं जो डिक्री नहीं है।

आदेश भी न्यायालय के न्याय निर्णयन की प्रारुपिक अभिव्यक्ति होती है । आदेश समान्यत: किसी आवेदन पर आरंभ की गई कार्यवाही से प्रारंभ की जाती हैं, किसी कार्यवाही में आदेशों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अर्थात कार्यवाही में एक से अधिक आदेश दिए जा सकते हैं।

डिक्री एवं आदेश के बीच में अंतर

1.प्रक्रिया

डिक्री केवल वाद में ही पारित की जा सकती है

जबकि आदेश वाद एवं अन्य विधिक कार्यवाहीयों में भी पारित किए जा सकते हैं।

2. प्रकार

डिक्री प्रारंभिक या अंतिम या भागत: प्रारंभिक और भागत: अंतिम हो सकती है,

जबकि आदेश प्रारंभिक नहीं होता है।

3.अपील

समझौते की डिक्री के सिवाय हर डिक्री अपीलनीय होती है,

जबकि प्रत्येक आदेश अपीलीनीय नहीं होता है सिवाय धारा 104 एवं आदेश 43 के उपबंधों के ।

4. द्वितीय अपील

डिक्री की द्वितीय अपील हो सकती है.

जबकि आदेश की द्वितीय अपील नहीं होती है।

5. अन्तिमता

डिक्री के माध्यम से विवादग्रस्त सभी या किन्हीं विषयों के संबंध में पक्षकारों के अधिकारों पर अंतिम रूप से निर्णय होता है।

जबकि आदेश के माध्यम से अंतिम निर्णय हो भी सकता है और डिक्री और आदेश में नहीं भी हो सकता है।

नोट:- एक अंतर इनके प्रावधानों को लेकर भी होता है, जिसे आप चाहें तो लिख सकते हैं, लेकिन यह कॉलेज लेवल तक ठीक होता है । प्रतियोगी परीक्षाओं में एक स्टैंडर्ड होता है, जहां इसे अंतर के रूप में उचित नही माना जाता है।

निष्कर्ष – डिक्री एवं आदेश  के बीच मुख्य अंतर यही होते हैं । डिक्री आदेश दोनों ही न्यायालय द्वारा अपने समक्ष के विषयों पर विचार करके दिया जाता है । दोनो ही न्यायालय के न्यायिक निष्कर्ष होते हैं।

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लेख पर आधारित संभावित प्रश्न- 

डिक्री एवं आदेश से आप क्या समझते हैं तथा इनके मध्य अंतर को भी स्पष्ट करें?